ज़िन्दगी, ज़िन्दगी नहीं, समझौता बनकर रह जाती है  

ज़िन्दगी, ज़िन्दगी नहीं, समझौता बनकर रह जाती है भगवंत अनमोल एक परिचय  by KumarR    … Continue reading ज़िन्दगी, ज़िन्दगी नहीं, समझौता बनकर रह जाती है